Sep 23, 2024
Ramdhari Singh ‘Dinkar’, a ‘Mahakavi’ known for his intellect, and rebellious nature, wrote some of the most iconic poems in his lifetime. He inspired people back in the day, and his poetry continues to inspire us today. On his birthday, here are the 10 most iconic lines by him.
Vani-Prakashan/Pinterest
जब नाश मनुज पर छाता है,पहले विवेक मर जाता है।
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प्रासादों के कनकाभ शिखर, होते कबूतरों के ही घर,महलों में गरुड़ ना होता है, कंचन पर कभी न सोता है.रहता वह कहीं पहाड़ों में, शैलों की फटी दरारों में.
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आदमी भी क्या अनोखा जीव होता हैउलझनें अपनी बनाकर आप ही फंसता,और फिर बेचैन हो जगता, न सोता है.
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वसुधा का नेता कौन हुआ? भूखंड-विजेता कौन हुआ?अतुलित यश-क्रेता कौन हुआ? नव-धर्म-प्रणेता कौन हुआ?जिसने न कभी आराम किया, विघ्नों में रहकर नाम किया
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भूलोक, अतल, पाताल देख, गत और अनागत काल देख,यह देख जगत का आदि-सृजन, यह देख, महाभारत का रण,मृतकों से पटी हुई भू है, पहचान, कहाँ इसमें तू है।
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सच है, विपत्ति जब आती है, कायर को ही दहलाती है,शूरमा नहीं विचलित होते, क्षण एक नहीं धीरज खोते
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एक मूर्ति में सिमट गईं किस भाँति सिद्धियाँ सारी?कब था ज्ञात मुझे, इतनी सुन्दर होती है नारी
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स्वार्थ हर तरह की भाषा बोलता है, हर तरह की भूमिका अदा करता है, यहां तक कि नि:स्वार्थता की भाषा भी नहीं छोड़ता।
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आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख, मन्दिरों, राजप्रासादों में?देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे, देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में ।फावड़े और हल राजदण्ड बनने को हैं, धूसरता सोने से शृँगार सजाती है;दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ।
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वैभव की मुसकानों में थी छिपी प्रलय की रेखा,जीवन के मधु-अभिनय में बस, इतना ही भर देखा।
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